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पंचतंत्र की कहानियाँ

युक्ति बैनर्जी

प्रकाशक : बी.पी.आई. इण्डिया प्रा. लि. प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6318
आईएसबीएन :978-81-7693-530

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पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं। प्रचलित लोककथाओं के द्वारा प्रसिद्ध गुरु विष्णु शर्मा ने तीन छोटे राजकुमारों को शिक्षा दी।

Panchtantra Ki Kahaniyan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अनुक्रम

1. खट्टे अंगूर
2. टोपीवाला और बंदर
3. चालाक सियार

पंचतंत्र की कहानियाँ


पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं। प्रचलित लोक कथाओं के द्वारा प्रसिद्ध गुरु विष्णु शर्मा ने तीन छोटे राजकुमारों को शिक्षा दी। ‘पंच’ का अर्थ है पाँच और ‘तन्त्र’ का अर्थ है प्रयोग। विष्णु शर्मा ने उनके व्यवहार को इन सरल कहानियों के द्वारा सुधारा। आज भी ये कहानियाँ बच्चों की मन पसंद कहानियाँ हैं।

खट्टे अंगूर


फिरदौस लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह चारों ओर खाना ढूँढ़ रही थी। घूमते-घूमते वह पास ही एक गाँव पहुँची। वह अंगूर की झाड़ी पर स्वादिष्ट अंगूर देखकर वह बहुत खुश हुई। फिरदौस ने चारों ओर देखा और अंगूर की बेल के पास पहुँची। पास पहुँचने पर अंगूर के गुच्छे और भी अधिक स्वादिष्ट लग रहे थे। उसकी आँखें बढ़ियाँ मीठे-मीठे अंगूरों पर ठहर गईं। ‘‘ओह, ये मीठे-मीठे अंगूर मेरा ही इंतजार कर रहे हैं !’’ फिरदौस ने मन ही मन सोचा। उसके मुँह से लार टपक रही थी। वह उन अंगूरों को तोड़ने के लिए उछलने लगी। अंगूर के गुच्छे बहुत ऊँचाई पर लगे थे। ‘‘एक बार और उछलूँगी तो मैं उन्हें ज़रूर तोड़ सकूँगी।’’ फिरदौस ने सोचा। वह बार-बार उछली पर अँगूरों तक नहीं पहुँच पाई। उसे एक अंगूर भी नहीं मिल सका। थकी-हारी फिरदौस लोमड़ी आखिरी बार फिर से उछली पर इस बार भी अंगूर तक नहीं पहुँच पाई। ‘‘ओह ! मैं इन खट्टे अँगूरों के लिए क्यों कोशिश कर रही हूँ ? उसने खिसियकार कहा।’’

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